पंचेश्वर बाँध का निर्णय भविस्य में आने वाली एक भयंकर सुनामी का संकेत है जो भूकंप आने पर आधे से भारत वर्ष कि बर्बादी का कारक बन सकता है क्यों कि पानी हवा व आग से कभी किसी का जोर नहीं चलता
पंचेश्वर बाँध का निर्णय भविस्य में आने वाली एक भयंकर सुनामी का संकेत है जबकि हमारे पास सौर ऊर्जा व् पवन ऊर्जा जैसे कई विकल्प मौजूद है आप २५००० करोड़ सालाना सिडकुल के उद्योगों को सब्सिडी का प्रावधान कर रहे हो जो पहाड़ के लोगो को ठेकेदारी में रखते है और आपके ७०% परमानेंट रोजगार कि धज्जिया उड़ा रहे है १० साल बाद सब्सिडी खाकर चले जायेंगे आपके खेती बाली जमीं को बंजर बनाकर ?? हमारे पहाड़ी भाई तो कई पुस्तो से पहाड़ में है और भगवन सब ठीक रखे ये सदियों तक यही रहेंगे
क्यों नहीं राज्य व केंद्र सरकार हर गाओं में २५००० करोड़ को हमारे लोगो को एक एक सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर दे देती ?? आपकी बिजली कि समस्या भी ख़त्म और रोजगार कि समस्या भी फिर हम तो आपसे कुछ नहीं मांगेगे हम रोड स्कुल अस्पताल पानी सब व्यवस्थ स्वयं कर लेंगे ??
अगर ये निर्णय बदला नहीं गया तो जहा आज यह १२५ गावो को बेघर कर रहा है कल को हजारो हजार शहरो व हजारो गावो कि बर्वादी का कारक बनेगा .अगर इसका सही आंकलन किया जाय तो भूकंप आने कि स्थिति में या चीन जैसे देश के खतरे को देखते हुए भगवन करे कभी कुछ हुआ तो ये आधे से ज्यादा भारत वर्ष कि बर्बादी का करक बनने वाला है सरकार एक बार फिर सोच कर छोटे छोटे बांधो को बनाये और १०० % पहाड़ी रोजगार कि गारंटी के साथ . सिडकुल कि तरह पहाड़ियों को न छले तो मेहरबानी होगी हम पहाड़ियों पर.
मेरे पहाड़ी भाई मेरी बात को किसी भी तरह से भड़काने वाला न ले मेरा दुःख केवल इतना है कि. जब ये केंद्र सरकार और राज्य सरकार और हमारे बीजेपी या कांग्रेस के पिछलगू नेता हमारे पहाड़ के लोगो कि मुलभुत समस्या रोड , पानी, बिजली , शिक्षा , स्वास्थ , रोजगार का हल नहीं कर सकती है २ किमी रोड इनसे बनती नहीं इनके पास पैसा नहीं होते है फिर खरबो रूपये के डैम व बुलेट ट्रेन के लिए ये हमारे आपके नाम कर्जा लेकर बिना हमारी रजामंदी के हमारी जमीनों पर वो भी एक दो नहीं १२५ गांव कोई फैसला कैसे ले सकते है ?? आखिर इसमे इनका क्या फायदा है . हर साल हमारे पहाड़ के भूस्खलन से बेघर लोग जो केवल गिनती भर है उनका तो ये घर बसा नहीं पायी तो आपको कैसे बसायेगी . ये केवल हमारी मजबूरियों व हमारी भावनाओ का मजाक बना रही है. में रामनगर में रहता हु और अपने गावं जो कि भिक्यासैंन के पास सीम है १९४७ से रोड नहीं है २०१४ में तमाम गाली देने के बाद एक पत्र आया कि रोड पास हो गयी है और आज तक नहीं बनी है आखिर मजबूर होकर नवंबर में हम आमरण अनसन कर रहे है एक रोड ३-४ किमी बनवाने को . तो भाइयो ये खरबो का डैम और १२५ गावो का विस्थापन आज भी आपदा ही है और कल कि सुनामी है बाँध छोटे छोटे बनते कई जगह पर बनते १००% पहाड़ को रोजगार मिलता तो बात समझ भी आती मगर एक सरकार जो हमारे लोगो कि जमीनी हकीकत को जानते हुए उन्हें बेघर करे ऐसे सरकार और उनके नुमाइंदो के सद्बुद्धि के लिए हम मजबूर , लाचार , गरीब असहाय लोग केवल अपने ग्वलज्यू से ही न्याय कि बिनती कर सकते है ?? वही में भी आप सभी के सुखद भविस्य के लिए प्रार्थना करता हु,
कैलाश खुल्बे
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