वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी हमारी बेटियों के लिए पाश्चात्य देशो की तरह कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करने की बाध्यता हो जाएगी जो की हमारी संस्कृति और समाज के लिए उचित नहीं है
कुछ महिला नेत्री गांव और शहर में राजनैतिक पद लेकर महिलाओ को महिला कानूनों की गलत ब्याख्या करके बरगलाकर उन्हें पुलिस केस करने को मजबूर कर देती है समाचार पत्रों और टीवी में ससुराल पक्ष की बदनामी कर देती है फिर उनके साथ उनके ससुराल मई जाकर गुंडागर्दी करती है जेल डालने के धमकी देती है और उनका सामान बांधकर मायके में वापस बैठाकर पुरुष पक्ष का पुलिस की मिलीभगत से उत्पीड़न करती है और फिर समझौते का दबाब बनाकर जेल डालने की धमकी देकर उनसे मोटी रकम की मांग करती है और इस तरह वो लोगो से मोटा पैसा लेने में कामयाब हो भी जाती है यह केवल शहर तक सिमित नहीं है इन्समे गाँव में भी ये महिलाये अपना नेटवर्क बनाकर पंचायत करने के नाम पर बदनाम करने का दर दिखाती है ताकि मुर्गा इनके चंगुल में फंस जाय और अपना काम हो जाने के बाद उन मासूम महिलाओ और बच्चो को उनके हाल पर छोड़ देती है ऐसे में वो महिलाये कोर्ट कछहरी के धक्के खाने को मजबूर हो जाती है और चुकी पुरुष पक्ष का तब तक कानून के दुरूपयोग के कारन पुलिस और इन महिला राजनेता द्वारा तथा ससुराल पक्ष द्वारा इतना उत्पीड़न हो चूका होता है की फिर समझौते की कोई गुंजाइस नहीं रह जाती है क्यों की ये शातिर व बदमाश किस्म की चरित्रहीन महिला ससुराल पक्ष के घर के सभी सदस्यों के बारे में गन्दी गन्दी शिकायत लिखवा चुकी होती है की फिर उन महिलाओ के लिए जिन्होंने शिकायत की ही वापस अपनी बात से मुकरना कानून के दर से मुश्किल हो जाता है और तब तक ससुराल पक्ष का विश्वास भी इन पर से उठ चूका होता है की भविष्य में फिर कोई उन्होने घटना को अंजाम न दे दे वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहते है कोर्ट में भी इनका खुला शोषण होता है क्यों की कानून के नाम पर मोटी फीस और लम्बी तारीखे भी इनका काम शोषण नहीं करती है हलाकि इसका दोष ये महिलाये पुरुष पक्ष पर डालने में देर नहीं करती क्यों अब तक इनके मन में इतना जहर घोला जा चूका होता है की ये हर तरह की बदतमीजी के गुर सिख चुकी होती है और निराश होकर ये पुरुष को अपने मनमाफिक सजा दिलाने की जिद में रहती है
मगर इन सबके पीछे एक संवेदनहिन् बात ये है की इस बाजार में इनके साथ साथ हर कोई जो भी इस बाजार में आने को मजबूर है वह हर पुरुष को दोष देने से पीछे नहीं हटता है जबकि इसमे न तो दोसी सारी महिला है न ही सारे पुरुष है दोसी है हमारा वो समाज जो इन जैसे लोगो को शाह दे रहा है उनकी सुन रहा है और उन्हें अपने घरो में बुलाकर उनका घरो और कार्यक्रमों में महिमामंडन कर रहा है और या वो माँ बाप भाई बहन जो ससुराल या उसके पति की जिंदगी में दखल देकर अपनी ही बेटी की जिंदगी बर्बाद कर रहे है जो यह नहीं सोचते की यदि यही काम उनकी खुद की बहु करने लगे तो क्या होगा और जो महिला बहलाफुसला कर अपना रोजी रोटी का जुगाड़ करती है और वो जो पुलिस को इस झूठे केश के लिए रिश्वत देने की भूमिका निभाती है हलाकि न सारी महिला नेता बुरी है न सारे पुलिस न सारे वकील ना सारे ससुराल लेकिन कुछ बुरे लोगो की वजह से सारा समाज बाप बिहीन समाज होने जा रहा है ये एक चिन्तनीय स्थिति है समाज में शादी जैसे पवित्र रिस्तो को कानून और इन सभी करदारो ने एक भयावह घटना का रूप दे दिया है जिसे की शादी की बात चलते ही समाज के लोगो के जहन में महिलाओ के प्रति एक अविश्वास पैदा कर रहा है और यह पश्चमी देशो की तरह हमारे समाज में शादी जैसे पवित्र बंधन पर बदनुमा दाग की तरह बढ़ रहा है अगर कानूनों का दुरूपयोग नहीं रोका गया अगर लोग जागरूक नहीं हुए अगर ऐसे कानूनों में परिवर्तन नहीं हुआ अगर मायके पक्ष ने बेटी के घर में बेबजह दखल बंद नहीं किया और अपने बेटियों को ससुराल में जाकर बेटी बनाकर जीने की तालीम नहीं दी तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी हमारी बेटियों के लिए पाश्चात्य देशो की तरह कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करने की बाध्यता हो जाएगी जो की हमारी संस्कृति और समाज के लिए उचित नहीं है
जो भी इसे पढ़े उससे बिनती है की वो आस पास घर गॉव रिश्ते में हर बेटी को किसी भी हालत में अपने झगडे को घर बहार न ले जाने की सलाह दे और सयम से उसका हल आपस में या अपने ससुराल और मायके वालो के बिच ही निकाले क्यों की घर से निकले कदम वापस तो आ सकते है मगर वो प्यार और विश्वास नहीं रहता . ये रिस्ता विश्वास का रिस्ता है न की लेनदेन का
पुलिस वकील या जज या अन्य कोई किसी का झगड़ा नहीं सुलझा सकते है वह केवल और केवल पति पत्नी ही सुलझा सकते है यदि यही सच है तो फिर इतनी गलती करने की जरुरत ही क्यों
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