Tuesday, March 27, 2018

भगवान मानती है आपको ये जनता मगर आप तो भगवान नहीं भागवान निकले जो दोनों हाथो से जनता के दुर्भाग्य की मलाई लूट रहे हो

  • कानून केवल दो लाइन का होना चाहिए 

  • १- जो  सही है और उसे क्या इनाम दिया जाय

  • २- जो  गलत है उसे क्या सजा दी जाय  

  • ये प्राकृतिक न्याय है हर इंसान की आत्मा ये जानती है उसके लिए लाखो कोर्ट कचहरी व तामझाम की जरुरत नहीं है ?

  • हां अगर आप गलत है आप इसे कारोबार बनाना चाहते है आप इससे बचना चाहते है झूठ बोलकर उसका दुरूपयोग करके फायदा उठाना चाहते है आपने इसे अपना रोजगार बनाना चाहते है तो आपकी इसकी पैरवी कर सकते है मगर 

  • ये जान लो हमारी बैदिक न्याय व्यवस्था में इसके लिए कोई जगह नहीं है और कभी भी न्याय करने वाले पांचो ने या न्यायाधिकारी ने कभी कोई वेतन या फीस नहीं ली जबकि आज वेतन या फीस लेने के बाद भी आपको समय से न्याय नहीं मिलता है आखिर क्यों ?

  • आप अपने लिए लड़ते है और कमसे कम समय में आपकी सुनवाई हो जाती है और आपको न्याय मिल जाता है किन्तु आपकी ही चौखट पर गरीब मजबूर और कुछ निर्दोष लोग भी सालो साल १०,१५,२०,२५,३० साल तक और कई को मरने के बाद भी न्याय नहीं मिलता है मगर 

  • आपको हर महीने आपके खाते मे वेतन चाहिए और हर साल बढोतरी चाहिए और ५ साल बाद वोट भी चाहिए और आपके कारिंदे अगर हमसे कम के बदले रिस्वत मांगे तो वो भी हमे देना है वरना झूठे केश मे फंसकर सालो सालो आपकी ही चौखट पर नाक रगड़ने को मजबूर कर दिया जायेगा 

  • भगवान मानती है आपको ये जनता मगर आप तो भगवान नहीं भागवान निकले  जो दोनों हाथो से जनता के दुर्भाग्य की मलाई लूट रहे हो 

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